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PM ट्रूडो ने लिखी एक पोस्ट और कनाडा की सड़कों पर क्यों उतर आए भारतीय छात्र?

कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो की एक पोस्ट के बाद भारतीय छात्र कनाडा की सड़कों पर उतर आए हैं. ट्रूडो ने X पर लिखा है कि सरकार कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम करने जा रही है. ट्रूडो का कहना है कि लेबर मार्केट काफी बदल चुका है और अब समय है कि कनाडा के उद्योग स्थानीय श्रमिकों और युवाओं में निवेश करें.

वहीं दूसरी ओर कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में भी बदलाव का ऐलान किया है. नई नीति में परमानेंट रेसिडेंट नॉमिनेशन में 25 फीसदी कटौती करने और स्टडी परमिट को प्रतिबंधित करना शामिल है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण यह फैसला लिया गया है. कनाडा सरकार के दिए गए डाटा के मुताबिक पिछले साल की जनसंख्या वृद्धि में करीब 97% हिस्सा अप्रवासियों का था.

सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर छात्र

कनाडा सरकार के इन फैसलों के खिलाफ हजारों भारतीय छात्र कनाडा की सड़कों पर उतर आए हैं. कनाडा के कई शहरों में भारतीय छात्र ट्रूडो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन फैसलों से छात्रों को एक ओर रोजगार छिन जाने का डर है तो दूसरी ओर भारत डिपोर्ट किए जाने का. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रूडो सरकार के इस फैसले से 70 हजार ग्रेजुएट छात्रों पर डिपोर्टेशन का खतरा मंडरा रहा है.

कनाडा में छात्रों के एक संगठन नौजवान सपोर्ट नेटवर्क के प्रतिनिधियों ने छात्रों को चेताया है कि इस साल उनका वर्क परमिट खत्म होने के बाद उन्हें भारत डिपोर्ट किया जा सकता है.

बेरोजगारी और बढ़ती आबादीबड़ी चुनौती

कनाडा सरकार ने श्रमिकों की कमी से निपटने के लिए अस्थायी विदेशी कर्मचारियों के लिए एक प्रोगाम शुरू किया था, इसके तहत बड़ी संख्या में विदेशियों को वर्क परमिट जारी किया गया. जानकारी के मुताबिक 2019 से वर्क परमिट में करीब 88 फीसदी की बढोतरी देखी गई, वहीं साल 2023 में 1 लाख 83 हजार से ज्यादा परमिट जारी किए गए.

कनाडा की रोजगार और सामाजिक विकास (ESDC) संस्था ने सरकार की इस नीति का काफी विरोध किया था. आरोप है कि इसके जरिए स्थानीय लोगों को नजरअंदाज़ किया गया और उनकी जगह दूसरे देशों से आए लोगों को नौकरी दी गई.

अप्रवासियों को बढ़ती आबादी और स्थानीय लोगों को रोजगार की कमी ट्रूडो सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं, लिहाजा स्थायीन लोगों के लिए रोजगार और आवास की कमी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है. यही वजह है कि ट्रूडो सरकार अस्थायी रेसिडेंट और विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम करना चाहती है.

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