Sonbhadra News : मरीज माफियाओं को जीवनदान दे रही सिस्टम की 'बीमारी', जिम्मेदार दिखा रहे लाचारी
sonbhadra
9:38 PM, Oct 4, 2025
अति पिछड़े जिलों में शामिल जनपद सोनभद्र में अस्पताल अब इलाज नहीं बल्कि मौत का सौदा कर रहे हैं। जिले के कई अस्पतालों के ओटी और अवैध तरीके से संचालित कई अन्य अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने ताला.....


......धड़ल्ले से संचालित सीज अस्पताल
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आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । अति पिछड़े जिलों में शामिल जनपद सोनभद्र में अस्पताल अब इलाज नहीं बल्कि मौत का सौदा कर रहे हैं। जिले के कई अस्पतालों के ओटी और अवैध तरीके से संचालित कई अन्य अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने ताला जड़ दिया है लेकिन अफसरों की शह पर वे अब भी धड़ल्ले से मरीज भर्ती कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब अस्पताल बेनकाब हो चुके हैं, इनके विरुद्ध कार्यावही हो चुकी हैं तो फिर ताला तोड़कर हॉस्पिटल संचालित करने वाले संचालकों के विरुद्ध अब तक कानूनी कार्यवाही नहीं कराने के पीछे कैसी मजबूरी है। जवाब साफ है विभागीय अफसर और अस्पताल माफिया की सांठगांठ। यहीं वजह है कि जिले में मरीजों के मौत और लूट का यह खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा।
सीज होने के बाद भी धड़ल्ले से हो रहा अस्पतालों का संचालन -
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते कुछ दिनों पूर्व कस्बा घोरावल स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल, सुषमा हॉस्पिटल, जीवन हॉस्पिटल, प्रतिभा हॉस्पिटल, बिश्वास हॉस्पिटल, प्रीति हॉस्पिटल, ओम हॉस्पिटल, ऊर्जाचल हॉस्पिटल, जीवन सुरक्षा तथा दुद्धी में राधा रानी हॉस्पिटल, देव हॉस्पिटल, विभा हॉस्पिटल, अंश हॉस्पिटल और हर्षित हॉस्पिटल, नेशनल हॉस्पिटल, जनता सेवा हॉस्पिटल में अनियमितताओं की लगातार आ रही शिकायतों के बीच मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार के निर्देश पर नोडल अधिकारी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उक्त अस्पताल का गहनता से निरीक्षण किया था, जिसमें बड़े पैमाने पर खामियाँ पाये जाने पर तत्काल प्रभाव से कई हॉस्पिटलों की ओटी और कई अन्य अस्पताल को सील कर दिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद ही ये बेखौफ़ हॉस्पिटल संचालक ताला तोड़कर एक बार पुनः अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया है।
जिम्मेदारों का मौन रुख विभागीय मिलीभगत और मूक सहमति की ओर कर रहा इशारा -
हॉस्पिटल सीज होने के बावजूद अस्पताल के संचालन के उक्त पूरे मामले में नोडल अधिकारी समेत जिले के विभागीय उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई। मगर स्वास्थ विभाग द्वारा बिना पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित क्लीनिक, अस्पतालों पर सीधे धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने एवं तत्काल प्रभाव से अस्पताल, क्लीनिक का संचालन बंद कराने के निर्देशों के बावजूद जानकारी मिलने के कई दिन बीत बाद भी अभी तक उक्त निजी अस्पताल और प्रबंधन पर किसी भी प्रकार की विभागीय कार्रवाई नहीं किया गया, जो कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत और मूक सहमति की ओर इशारा कर रही है।
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