Sonbhadra News : स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पड़ ना जाये भारी, सरकारी व निजी अस्पतालों में नहीं है 'आग' से बचाव की तैयारी
sonbhadra
9:45 PM, Oct 6, 2025
जयपुर हॉस्पिटल में हुए आगजनी के बाद हुए आठ मरीजों की मौत के बाद भी जनपद सोनभद्र का स्वास्थ्य महकमा ऑंखें मुंदे किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है। बेहतर सुविधाओं के नाम पर जनता को लूटने वाले......


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आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जयपुर हॉस्पिटल में हुए आगजनी के बाद हुए आठ मरीजों की मौत के बाद भी जनपद सोनभद्र का स्वास्थ्य महकमा ऑंखें मुंदे किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है। बेहतर सुविधाओं के नाम पर जनता को लूटने वाले संचालित निजी अस्पताल मरीजों की जिंदगी को जोखिम में डाल रहे हैं। क्योंंकि शहर से लेकर जिले भर में संचालित बड़े-बड़े आर्टिफिशियल निजी अस्पतालों में जहां अनट्रेंड स्टॉफ कार्य करता है वहीं ज्यादातर अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं ली है, जबकि सरकार ने अस्पतालों में एनओसी लेने के लिए बड़े सख्त आदेश दे रखे हैं। मगर फिर भी स्वास्थ्य विभाग इन निजी अस्पतालों पर मेहरबान हुए बैठा है।
फायर NOC के बगैर संचालित हॉस्पिटलों पर मेहरबान स्वास्थ्य विभाग -
जिले भर के सरकारी और निजी अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजाम नाकाफी हैं। अग्निशमन व्यवस्था बदहाल है, उपकरण बेकार हैं। जनरल वार्ड से लेकर सर्जिकल वार्ड तक यहीं स्थिति है। ढूंढने पर यहां पानी तक नहीं मिलेगा। ऐसे में अगर यहां भी आग लगी तो भागम-भाग ही होगी। जिले में 62 निजी अस्पतालों की सूची अग्नि शमन विभाग के पास है। लेकिन, जयपुर हादसे ने एकबार फिर अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। अग्निशमन विभाग के आंकड़े के अनुसार, जिले के लगभग 39 निजी हॉस्पिटलों फायर विभाग की NOC ले बगैर संचालित हो रहे हैं लेकिन आग से बचाव और राहत की व्यवस्था सिर्फ कागजों तक सीमित है। यदि जनपद सोनभद्र के निजी अस्पतालों में आग लगने जैसी घटना हुई, तो जयपुर हॉस्पिटल और झांसी मेडिकल कॉलेज जैसी घटना की पुनरावृत्ति होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
निजी तो छोड़िए सरकारी हॉस्पिटलों में भी खतरे में मरीज -
जिले में संचालित निजी हॉस्पिटलों को तो छोड़िये सरकारी हॉस्पिटल भी मरीजों की जान से खिलवाड़ करने में पिछे नहीं है। जिले में संचालित 10 सीएचसी, तीन अर्बन पीएचसी, दो ब्लॉक पीएचसी, 40 पीएचसी और एक कम्बाइंड हॉस्पिटल अनपरा संचालित हो रहे हैं लेकिन ज्यादातर के पास फायर सेफ्टी की NOC नहीं है। यह सब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हो रहा है अगर किसी दिन कोई हादसा हो गया तो फिर एनओसी पर चर्चा करते रह जायेंगे। इतनी बड़ी लापरवाही पर जिम्मेदार अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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अगर भड़की चिंगारी तो मरीजों को बचाना होगा भारी -